भारत, दक्षिण अफ्रीका सौर ऊर्जा के 'बिजनेस हॉटस्पॉट': ऑक्सफोर्ड रिपोर्ट

बाकू, 15 नवंबर (आईएएनएस)। भारत और दक्षिण अफ्रीका वर्तमान सौर 'बिजनेस हॉटस्पॉट' हैं। यह जानकारी ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नेतृत्व वाली एक टीम ने आंकड़ों के आधार पर दी। अफ्रीका और दक्षिण एशिया के 2,300 से अधिक रिन्यूएबल एनर्जी स्टार्टअप के पहले व्यापक डेटा सेट का विश्लेषण कर इसका खुलासा किया गया।विश्लेषण में यह भी पता चला कि क्यों चिली और नामीबिया जैसे कुछ देश अपनी क्षमता के सापेक्ष अधिक सौर ऊर्जा का उत्पादन करते हैं, जबकि अन्य देश इसमें पीछे रह जाते हैं। यह तब होता है जब इन देशों में सूर्य प्रकाश के घंटे, जीवाश्म ईंधन या जल विद्युत की उपलब्धता और सकल घरेलू उत्पाद जैसे कारकों को ध्यान में रखा जाता है।प्रमुख लेखक लोरेंजो एग्नेली ने कहा, "हमारी रिपोर्ट उन देशों की पहचान करती है, जहां अन्य सभी चीजें समान होने पर सक्रिय नीतियों और सरल सामाजिक आत्मीयता ने सौर ऊर्जा के लिए उम्मीद से बेहतर वातावरण तैयार किया है।"रिपोर्ट के मुताबिक भारत और दक्षिण अफ्रीका में स्टार्ट अप की वजह से माहौल अनुकूल है।वहीं, व्यावसायिक ढांचे की परेशानियों की वजह से नाइजीरिया में चुनौतियां बनी हुई हैं।इसके अलावा अफ्रीका के बोत्सवाना और नामीबिया जैसे देशों में, जहां सौर ऊर्जा के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं, लेकिन स्टार्ट-अप गतिविधि सीमित है। इसलिए यह देश पिछड़ रहे हैं।उदाहरण के लिए, चाड और मलावी में कठिन परिस्थितियां हैं तथा स्टार्ट-अप गतिविधियां सीमित हैं लेकिन वहां रणनीतिक समर्थन से भविष्य में उद्यमशीलता के द्वार खुल सकते हैं।ऑक्सफोर्ड स्मिथ स्कूल ऑफ एंटरप्राइज एंड एनवायरनमेंट में जलवायु नीति के प्रोफेसर सैम फैंकहॉसर कहते हैं, "वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन केवल नई प्रौद्योगिकी के बारे में नहीं है। यह ऊर्जा प्रदान करने के नए, प्रायः अधिक समावेशी तरीकों के बारे में है।"उन्होंने आगे कहा,"जैसा कि इस नवीनतम रिपोर्ट से स्पष्ट है, स्थानीय उद्यमियों से लेकर बड़े अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों और निवेशकों तक सभी की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होगी।"--आईएएनएसपीएसएम/केआर

Nov 15, 2024 - 04:15
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भारत, दक्षिण अफ्रीका सौर ऊर्जा के 'बिजनेस हॉटस्पॉट': ऑक्सफोर्ड रिपोर्ट

बाकू, 15 नवंबर (आईएएनएस)। भारत और दक्षिण अफ्रीका वर्तमान सौर 'बिजनेस हॉटस्पॉट' हैं। यह जानकारी ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नेतृत्व वाली एक टीम ने आंकड़ों के आधार पर दी। अफ्रीका और दक्षिण एशिया के 2,300 से अधिक रिन्यूएबल एनर्जी स्टार्टअप के पहले व्यापक डेटा सेट का विश्लेषण कर इसका खुलासा किया गया।

विश्लेषण में यह भी पता चला कि क्यों चिली और नामीबिया जैसे कुछ देश अपनी क्षमता के सापेक्ष अधिक सौर ऊर्जा का उत्पादन करते हैं, जबकि अन्य देश इसमें पीछे रह जाते हैं। यह तब होता है जब इन देशों में सूर्य प्रकाश के घंटे, जीवाश्म ईंधन या जल विद्युत की उपलब्धता और सकल घरेलू उत्पाद जैसे कारकों को ध्यान में रखा जाता है।

प्रमुख लेखक लोरेंजो एग्नेली ने कहा, "हमारी रिपोर्ट उन देशों की पहचान करती है, जहां अन्य सभी चीजें समान होने पर सक्रिय नीतियों और सरल सामाजिक आत्मीयता ने सौर ऊर्जा के लिए उम्मीद से बेहतर वातावरण तैयार किया है।"

रिपोर्ट के मुताबिक भारत और दक्षिण अफ्रीका में स्टार्ट अप की वजह से माहौल अनुकूल है।

वहीं, व्यावसायिक ढांचे की परेशानियों की वजह से नाइजीरिया में चुनौतियां बनी हुई हैं।

इसके अलावा अफ्रीका के बोत्सवाना और नामीबिया जैसे देशों में, जहां सौर ऊर्जा के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं, लेकिन स्टार्ट-अप गतिविधि सीमित है। इसलिए यह देश पिछड़ रहे हैं।

उदाहरण के लिए, चाड और मलावी में कठिन परिस्थितियां हैं तथा स्टार्ट-अप गतिविधियां सीमित हैं लेकिन वहां रणनीतिक समर्थन से भविष्य में उद्यमशीलता के द्वार खुल सकते हैं।

ऑक्सफोर्ड स्मिथ स्कूल ऑफ एंटरप्राइज एंड एनवायरनमेंट में जलवायु नीति के प्रोफेसर सैम फैंकहॉसर कहते हैं, "वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन केवल नई प्रौद्योगिकी के बारे में नहीं है। यह ऊर्जा प्रदान करने के नए, प्रायः अधिक समावेशी तरीकों के बारे में है।"

उन्होंने आगे कहा,"जैसा कि इस नवीनतम रिपोर्ट से स्पष्ट है, स्थानीय उद्यमियों से लेकर बड़े अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों और निवेशकों तक सभी की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होगी।"

--आईएएनएस

पीएसएम/केआर

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