'सागर परिक्रमा' के पहले चरण में ऑस्ट्रेलिया पहुंचीं नौसैनिक अधिकारी

नई दिल्ली, 10 नवंबर (आईएएनएस)। दुनिया का चक्कर लगाने को निकली भारतीय नौसेना की महिला अधिकारी लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के. और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए. 'सागर परिक्रमा' के अपने चुनौतीपूर्ण अभियान पर हैं। इस अभियान के पहले चरण में 38 दिनों तक समुद्र में कठिन मौसम का सामना करने के बाद वे भारत से फ्रीमैंटल, ऑस्ट्रेलिया पहुंची हैं। 'सागर परिक्रमा' के तहत दोनों महिला अधिकारी 40,000 किमी से अधिक की दूरी तय करेंगी। रविवार को ऑस्ट्रेलिया पहुंचीं लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के. और रूपा ए. यहां कुछ आराम करेंगी। इस दौरान वे यात्रा के दूसरे चरण की तैयारी भी करेंगी। इनकी यात्रा 'नाविका सागर परिक्रमा' दो अक्टूबर को गोवा के आईएनएस मंडोवी के महासागर नौकायन नोड से प्रारंभ हुई थी। इंडियन नेवी का कहना है कि नौसेना के समुद्री नौकायन इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।'नाविका सागर परिक्रमा' 21,600 समुद्री मील या लगभग 40,000 किमी से अधिक की दूरी तय करते हुए पांच चरणों में पूरी होगी। अपनी यात्रा में यह रखरखाव आद‍ि के लिए चार बंदरगाहों पर रुकेगी। यात्रा का पहला चरण गोवा से फ्रीमैंटल, ऑस्ट्रेलिया है, जो पूरा हो गया है। दूसरे चरण में फ्रीमैंटल से लिटलटन, न्यूजीलैंड तक की यात्रा की जाएगी। इसके उपरांत लिटलटन से पोर्ट स्टेनली, फ़ॉकलैंड। पोर्ट स्टेनली से केपटाउन, दक्षिण अफ्रीका व केपटाउन से वापस गोवा आएंगे।नौसेना के मुताबिक यह यात्रा 8 महीने की अवधि में पूरी होगी। इन आठ महीनों में महिला अधिकारियों की यह जोड़ी बिना किसी बाहरी सहायता के केवल पवन ऊर्जा पर निर्भर रहेगी। लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के. व रूपा ए. यात्रा में सबसे खतरनाक समुद्री मार्गों से भी गुजरेंगी। इन खतरनाक समुद्री मार्गों में तीन महान केप शामिल हैं, इनमें केप लीउविन, केप हॉर्न और केप ऑफ गुड होप के आसपास का खतरनाक मार्ग शामिल है।नौसेना का मानना है कि यह यात्रा न केवल महिला अधिकारियों की व्यक्तिगत बहादुरी और कौशल का प्रमाण है, बल्कि उनकी अदम्य भावना और दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित करते हुए महिला सशक्तीकरण के प्रति भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता का उत्सव भी है। नौसेना की अधिकारी आईएनएस तारिणी पर सवार हैं। 56 फुट का यह पोत 'तारिणी' 18 फरवरी 2017 को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।इसने अभी तक 66,000 समुद्री मील से अधिक की दूरी तय की है। यह नाव उन्नत नेविगेशन, सुरक्षा और संचार उपकरणों से सुसज्जित है। इन तैयारी के साथ भारतीय नौसेना की अधिकारी 'नाविका सागर परिक्रमा' अभियान के दूसरे संस्करण के साथ दुनिया का चक्कर लगाने के एक असाधारण मिशन पर हैं।इस अभियान की कल्पना 2017 में भारतीय नौसेना के 'नाविका सागर परिक्रमा' के उद्घाटन के साथ की गई थी, जो छह अधिकारियों के एक महिला दल द्वारा दुनिया की पहली भारतीय यात्रा थी। हालांकि, इस अभियान का दूसरा संस्करण असाधारण है, क्योंकि यह दोनों अधिकारी 'डबल हैंड मोड' में ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाली भारत से पहली अधिकारी होगीं। यह अभियान दक्षिणी नौसेना कमान के तहत किया जा रहा है। कमान नोडल केंद्र, अंतरराष्ट्रीय समुद्री एजेंसियों और अधिकारियों के साथ मिलकर यात्रा का समन्वय कर रहा है।--आईएएनएसजीसीबी/एबीएम

Nov 10, 2024 - 10:20
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'सागर परिक्रमा' के पहले चरण में ऑस्ट्रेलिया पहुंचीं नौसैनिक अधिकारी

नई दिल्ली, 10 नवंबर (आईएएनएस)। दुनिया का चक्कर लगाने को निकली भारतीय नौसेना की महिला अधिकारी लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के. और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए. 'सागर परिक्रमा' के अपने चुनौतीपूर्ण अभियान पर हैं। इस अभियान के पहले चरण में 38 दिनों तक समुद्र में कठिन मौसम का सामना करने के बाद वे भारत से फ्रीमैंटल, ऑस्ट्रेलिया पहुंची हैं।

'सागर परिक्रमा' के तहत दोनों महिला अधिकारी 40,000 किमी से अधिक की दूरी तय करेंगी। रविवार को ऑस्ट्रेलिया पहुंचीं लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के. और रूपा ए. यहां कुछ आराम करेंगी। इस दौरान वे यात्रा के दूसरे चरण की तैयारी भी करेंगी। इनकी यात्रा 'नाविका सागर परिक्रमा' दो अक्टूबर को गोवा के आईएनएस मंडोवी के महासागर नौकायन नोड से प्रारंभ हुई थी। इंडियन नेवी का कहना है कि नौसेना के समुद्री नौकायन इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

'नाविका सागर परिक्रमा' 21,600 समुद्री मील या लगभग 40,000 किमी से अधिक की दूरी तय करते हुए पांच चरणों में पूरी होगी। अपनी यात्रा में यह रखरखाव आद‍ि के लिए चार बंदरगाहों पर रुकेगी। यात्रा का पहला चरण गोवा से फ्रीमैंटल, ऑस्ट्रेलिया है, जो पूरा हो गया है। दूसरे चरण में फ्रीमैंटल से लिटलटन, न्यूजीलैंड तक की यात्रा की जाएगी। इसके उपरांत लिटलटन से पोर्ट स्टेनली, फ़ॉकलैंड। पोर्ट स्टेनली से केपटाउन, दक्षिण अफ्रीका व केपटाउन से वापस गोवा आएंगे।

नौसेना के मुताबिक यह यात्रा 8 महीने की अवधि में पूरी होगी। इन आठ महीनों में महिला अधिकारियों की यह जोड़ी बिना किसी बाहरी सहायता के केवल पवन ऊर्जा पर निर्भर रहेगी। लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के. व रूपा ए. यात्रा में सबसे खतरनाक समुद्री मार्गों से भी गुजरेंगी। इन खतरनाक समुद्री मार्गों में तीन महान केप शामिल हैं, इनमें केप लीउविन, केप हॉर्न और केप ऑफ गुड होप के आसपास का खतरनाक मार्ग शामिल है।

नौसेना का मानना है कि यह यात्रा न केवल महिला अधिकारियों की व्यक्तिगत बहादुरी और कौशल का प्रमाण है, बल्कि उनकी अदम्य भावना और दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित करते हुए महिला सशक्तीकरण के प्रति भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता का उत्सव भी है। नौसेना की अधिकारी आईएनएस तारिणी पर सवार हैं। 56 फुट का यह पोत 'तारिणी' 18 फरवरी 2017 को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।

इसने अभी तक 66,000 समुद्री मील से अधिक की दूरी तय की है। यह नाव उन्नत नेविगेशन, सुरक्षा और संचार उपकरणों से सुसज्जित है। इन तैयारी के साथ भारतीय नौसेना की अधिकारी 'नाविका सागर परिक्रमा' अभियान के दूसरे संस्करण के साथ दुनिया का चक्कर लगाने के एक असाधारण मिशन पर हैं।

इस अभियान की कल्पना 2017 में भारतीय नौसेना के 'नाविका सागर परिक्रमा' के उद्घाटन के साथ की गई थी, जो छह अधिकारियों के एक महिला दल द्वारा दुनिया की पहली भारतीय यात्रा थी। हालांकि, इस अभियान का दूसरा संस्करण असाधारण है, क्योंकि यह दोनों अधिकारी 'डबल हैंड मोड' में ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाली भारत से पहली अधिकारी होगीं। यह अभियान दक्षिणी नौसेना कमान के तहत किया जा रहा है। कमान नोडल केंद्र, अंतरराष्ट्रीय समुद्री एजेंसियों और अधिकारियों के साथ मिलकर यात्रा का समन्वय कर रहा है।

--आईएएनएस

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